जॉन ऐलिया के शेर।

1.वो जो ना आने वाला है ना, उससे हमको मतलब था। आने वालो से क्या मतलब, आते है आते होंगे।
2. यारो कुछ हाल बताओ ,उनके कयामत बाहों का वो जो सिमटते होंगे उनमें, वो तो मर जाते होंगे ना।
3. अब तो जिस दौर भी गुजर गए, कोई असरार जिंदगी से नहीं। उसके गम में किया सभी को माफ, कोई भी सिकवा अब किसी से नहीं।
4.चरासाजो की चरासाजी से दर्द बदनाम तो नहीं होगा, हाँ दावा दो मगर ये बतलाओ मुझे आराम तो नहीं होगा।
5.वो मिले तो ये पूछना है मुझे, अब भी हूं तेरी अमान में क्या। यूँ जो ताकता हैं आसमान को तू, कोई रहता है आसमान में क्या, ये मुझे चैन क्यूं नहीं पड़ता, एक ही शक्स था जहान में क्या
6.बस मुझे यूंही एक ख्याल आया, यदि सोचती हो तो सोचती हो क्या।
7.मैं उसी तरह तो बहलता हूं, जैसे सब बहलते हैं। और क्या तक्कलूफ करे ये कहने में, जो खुश है हम उनसे जलते है।
8.कोई ताल्लुक ना रहे , जबकि सबब भी बाकी हो। क्या मैं अबभी जिंदा हूं, क्या तुम अबभी बाकी हो।
9.अब हमारा मकान किसका है? हम तो अपने मकान के थे ही नहीं।
10.उसे मैंने खून से सींचा, पर वह तमन्ना का पौधा फला नहीं। हुई उस गली में फजीहत बहोत, पर मैं वहां से टला नहीं।
11.शर्म, लेहाज, झिझक, परेशानी, नाज से काम क्यू नहीं लेती। आप, वो, जी, मगर, तुम ये सब क्या है तुम नाम क्यों नहीं लेती।
12.हम कहा और तुम कहा जाना, है कई हिज्र हमारे दर्मिया जाना। अबभी झीलों में अक्स पड़ते है, है अबभी आसमान नीला जाना।
13.नया एक रिश्ता पैदा क्यू करे हम, बिछड़ना है तो रिश्ता पैदा क्यू करे हम। खुशी से अदा हो रस्मे दूरी, कोई हंगामा बर्बा क्यू करे हम।
14.हमारी ही तम्माना क्यू करो तुम, तुम्हारी ही तमन्ना क्यू करे हम। जब नहीं दुनिया को परवाह हमारी, तो दुनिया की परवाह क्यू करे हम।
15.मेरी हर बात बेअसर ही रही, नुक्स है कुछ मेरे बयान में क्या वो मिले तो ये पूछना है मुझे अबभी हो तेरे अमान में क्या।
16.अजीब होती है कुर्बतो की दूरी भी, वो मेरे पास ही रहा पर मुझे ना मिला।
17.कितने ऐस से रहते होंगे, कितने इतराते होंगे। जाने कैसे लोग वो होंगे, जो उसको भाते होंगे।

Post a Comment

Previous Post Next Post